कर्म योगी ठाकुर सूबेदार सिंह की पुण्य तिथि पर विशेष

महान कर्म योगी
ठाकुर सूबेदार सिंह जी
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ स्वयं सेवक भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी, विश्वहिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री (गोरक्षा) रामजन्म भूमि आंदोलन  में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एक महान कर्म योगी थे  जिनका जन्म 1927 को वाराणसी जनपद अब (चंदौली) के चकिया तहसील के  साराडीह (उदयपुर) गांव में एक संभ्रांत परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम रामजग सिंह था और दादा का जगरदेव सिंह था। ठाकुर साहब के चाचा का नाम बटुक सिंह था जिनको लोग साधु जी के नाम से पुकारते थे। ठाकुर साहब का गोलोक गमन 04 जनवरी 2020 को उनके पैतृक गांव में हो गया। 

ठाकुर साहब का संपूर्ण जीवन लोक कल्याण में लगा रहा। उन्हीं ने 1948 में अपने गांव में प्राथमिक विद्यालय की स्थापन भी करवाया। जिससे गांव के बच्चों को शिक्षा प्राप्त तो सके। ठाकुर साहब को तीन पुत्र है जिसमें सबसे बड़े राघवेंद्र प्रताप सिंह, योगेंद्र प्रताप सिंह, ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह है। ठाकुर साहब का उनके बड़े भतीजे स्वर्गीय वीरेंद्र नारायण सिंह से बहुत ही लगाव रहता था।


ठाकुर साहब की प्रारंभिक शिक्षा  चकिया से संपन्न हुई और 8 से 10 तक की शिक्षा प्रभुणारायण सिंह इंटर कालेज रामनगर से हुई। ठाकुर साहब जब हाई स्कूल में थे तभी से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ चुके थे। संघ का विस्तार हो इस लिए उन्होंने उदय प्रताप कालेज वाराणसी से इंटर कालेज में दाखिला कराया। यूपी कालेज में एक जूनियर छात्र के साथ ठाकुर साहब साइकिल से संघ की शाखा में जाते थे जो बाद में यूपी कालेज के प्रिंसिपल रहे जिनका नाम था  बंश बहादुर सिंह। 

डॉक्टर वंश बहादुर सिंह एक संस्मरण में बताए है कि शिवपुर में एक बिल्डिंग थी जिसे भुतहा बिल्डिंग के नाम से जानी जाती थी। उसमें कोई नहीं रहता था, ठाकुर साहब उसमें रहने का निर्णय किया। जिसकी बिल्डिंग थी उनसे मिले, बिल्डिंग वाले ने कहा उसमें मत रहिए लेकिन उन्होंने नहीं माना। उसने किराया लेने से मना किया। ठाकुर साहब ने बिना किराया दिए रहने पर मना कर दिए। किराया देने पर राजी कर भुतहा मकान में रहने लगे। कुछ दिन बाद कालेज के लड़कों को रखे जो शाखा में में आते थे। कई वर्षों तक लड़के हॉस्टल बनकर रहे। 

स्नातक की शिक्षा के लिए काशी हिंदू विश्व विद्यालय में प्रवेश लिए छात्र नेता। शिक्षा प्राप्ति के दौरान पूर्ण रूप से संघ के प्रति समर्पित हो गए।
ठाकुर साहब का संयुक्त परिवार था, सार्वजनिक जीवन होने के कारण घर पर घ्यान नहीं दे पा रहे थे। शिक्षा प्राप्ति के बाद अनेक वर्षों तक घर पर आए बिना संघ का करते रहे। बहुत समय तक दिन के बाटी चोखा बना लेते थे, रात्रि के समय के लिए कुछ बचा कर रख लेते थे। गांव में एक अतिथि की तरह आए थे, गांव और क्षेत्र के लोग ठाकुर साहब को बहुत ही सम्मान देते थे और अदब के साथ बात करते थे। बचपन से ही वे बड़े निर्भीक थे। 1948 में जब वे कक्षा 9 में पढ़ते थे तभी से वे छात्रों की समस्याओं के लिए अग्रसर रहते थे। 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई। संघ पर प्रतिबंध लगा दिया गया, लेकिन उन्होंने शाखा लगाना बंद नहीं किया। ठाकुर साहब को पुलिस ने गिरफ्तार कर रामनगर कोतवाली में रखा।  ठाकुर साहब की गिरफ्तारी से छात्र आक्रोशित हो गए और कोतवाली का जबरजस्त तरीके से घेराव कर दिया। पूरा रामनगर जाम हो गया। छात्रों ने घेराव से प्रशासन के हाथ पांव फूलने लगा। जिला प्रशासन के आला अधिकारियों के अनुरोध पर ठाकुर साहब ने स्वयं आकर छात्रों को संबोधित किया तब जाकर छात्रों ने जाम को हटवाया।

 ठाकुर साहब को रामनगर से ज्ञानपुर जेल में रखा गया। उस समय ज्ञानपुर काशी नरेश के राज्य में था। संघ से प्रतिबंध हटने के बाद उनको रिहा किया गया।

ठाकुर साहब को काशी राज्य के शिक्षा मंत्री माननीय वंश नारायण सिंह जी बहुत मानते थे, छात्रों की समस्याओं  को लेकर उनके पास जाते थे। उनके कहने पर माननीय शिक्षा मंत्री उनके गांव आए थे और 1948 में गांव में प्राथमिक पाठशाला की स्थापना कराई। ठाकुर साहब ने 1999 में उच्च प्राथमिक विद्यालय की स्थापन कराई। 15 अक्टूबर 1948 में काशी राज्य को भारत में मिलाने के लिए काशी नरेश ने विलय पत्र पर  हस्ताक्षर किए उसमें  ठाकुर साहब मौजूद थे।

वाराणसी में माननीय भाऊराव देवरस जी से परिचय हुआ। ठाकुर साहब समय के बहुत ही पाबंद थे। एक बात वाराणसी में गोदौलिया स्थित राममंदिर संघ कार्यालय पर मा0 भाऊ राव देवरस जी ने बैठक राखी थी उस बैठक में उस बैठक में ठाकुर साहब को आना था। बैठक का समय होने वाला था, अभी तक ये पहुंचे नहीं थे। देवरस जी ने पूछा क्या वे बैठक में आने को कहे है तो कार्यकर्ताओं ने कहा कि हां, तो देवरस जी ने कहा कि तब वे अवश्य आएंगे। तभी ठाकुर साहब संघ कार्यालय में प्रवेश किए।
ठाकुर साहब को संघ का प्रचारक बनकर आजमगढ़ भेजा गया उस समय मऊ जनपद भी उसी में था। वहां एक मस्जिद थी जिसका कुछ हिस्सा अवैध रूप से हिंदुओं की जमीन पर बना था। जिसके लिए हिंदुओं के साथ बैठके की। ऐसा माहौल बनाया की हिन्दुओं और मुसलमानों में दंगा शुरू हो जाएगा। तब जाकर सरकार ने मामले में हस्ताक्षेप किया और जो हिस्सा हिन्दुओं की जमीन पर बना था प्रशासन ने गिरवा दिया तब जाकर शांति स्थापित हो पाई।

ठाकुर साहब मीरजापुर में लगभग बीस वर्षों तक जिला प्रचारक के रूप में कार्य किया उस समय सोनभद्र भी मीरजापुर में ही था। प्रोफेसर राजेंद्र सिंह रज्जू भैया बाद में (संघ के  सर संघ चालक) जब भी  मीरजापुर में दौरा होता था ठाकुर साहब साथ में ही होते थे। 
मीरजापुर में ठाकुर साहब को लौह पुरुष के नाम से लोग जानते थे। ठाकुर साहब को माननीय अशोक सिंघल जी बहुत मानते थे कहते थे कि ठाकुर साहब अभी बहुत कुछ करना है। ठाकुर साहब का सुंदर सिंह भंडारी, माननीय अटल बिहारी बाजपेयी, लालकृष्ट आडवाणी, रामप्रकाश गुप्ता मुख्य मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार, कल्याण सिंह,हरिश्चंद्र श्रीवास्तव (हरीश जी) आदि लोगो के साथ संगठन और पार्टी के लिए मिलकर  कार्य किया। ठाकुर साहब उत्तर प्रदेश उत्तरांचल भाजपा के संगठन मंत्री के रूप में भी कार्य किया और चंदौली लोकसभा से चुनाव भी लड़ा।

 ठाकुर साहब के संरक्षण में कई राजनैतिक हस्तियों का अभ्युदय हुआ जिसमें मीरजापुर के ओमप्रकाश सिंह, मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष रहे। राजनाथ सिंह जो वर्तमान में देश के रक्षा मंत्री है, महेंद्र पाण्डेय पूर्व भारी उद्योग मंत्री भारत सरकार, राम इकबाल सिंह , भारत सिंह बलिया, राजेश बहेलिया पूर्व विभायक, वर्तमान विधायक चकिया आचार्य कैलाश जी आदि बड़े पैमाने पर राजनीतिक लोग ठाकुर साहब को अपना संरक्षक मानते है।