चंदौली (यूपी)
इलिया थाना क्षेत्र के सरैया गांव निवासी शिवमूरत केशरी को समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों ने फाइलों में मृत घोषित कर दिया था। शिवमूरत केशरी ने समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से तंग आकर डीएम के सामने उपस्थित होकर कहा था कि डीएम साहब अभी हम जिंदा है फिर से शुरू करा दे पेंशन, डीएम से शिकायत के बाद समाज कल्याण विभाग कुंभकर्णी निद्रा से जागा और अधिकारियों के निर्देश पर वृद्धा पेंशन के लिए पुनः से आवेदन किया गया। विभागीय अधिकारियों एवं बाबुओं की लापरवाही का अलम ये रहा कि दस माह बीत जाने के बाद भी पेंशन शुरू नहीं हो पाई। अधिकारियों के रवैया से थक हार कर वृद्ध ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर जीवित होने की बात बताते हुए पेंशन शुरू करने की गुजर लगाई थी, लेकिन अधिकारियों के ऊपर इसका कोई असर नहीं पड़ा।
मामला संज्ञान में आने के बाद मानवाधिकार सी डब्लू ए के चेयरमैन योगेंद्र कुमार सिंह (योगी) ने प्रकरण की शिकायत राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग में भेजकर पीड़ित का पेंशन जारी करने का अनुरोध किया था।
आयोग ने मामले का संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी को पेंशन जारी करने का निर्देश जारी किया। दिनांक 01/06/2023 को डीएम कार्यालय से एक रिपोर्ट प्राप्त हुई जिसमें कहा गया कि पीड़ित की पेंशन की प्रक्रिया ऑनलाइन आवेदन के माध्यम से शुरू कर दी गई है।
आयोग ने अधिकारियों की लापरवाही एवं वृद्धा पेंशन जारी करने में देरी करने का दोषी पाए जाने पर पर सख्त कदम उठाते हुए चीफ सेक्रेटरी उत्तर प्रदेश सरकार को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछ की क्यों न आयोग पीड़ित को वृद्धा पेंशन के वितरण में देरी के लिए ब्याज के अतिरिक्त 10,000/ (दस हजार मात्र) रुपए मुआवजे के रूप में देने के लिए संस्तुति करे।
आयोग ने अपने निर्देश में कहा कि वृद्धा पेंशन राज्य का एक कल्याणकारी योजना है। हालांकि राज्य इसके वितरण में मनमानी नहीं कर सकता है न ही वह किसी लाभार्थी को इसके वितरण को मनमाने ढंग से रोक सकता है। आयोग ने कहा कि पेंशन से वंचित होने से उसे दुख मानसिक पीड़ा और अनुचित उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। यह स्थापित है कि शिकायत कर्ता को उसकी पेंशन से अनुचित रूप से वंचित किया गया था, जिससे उसके आजीविका के अधिकार और सम्मान के साथ जीने के अधिकार और संविधान के अनुच्छेद 21के तहत गारंटीकृत जीवन के अधिकार और हमारे संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन हुआ है।
आयोग ने मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 18 (सी) के तहत चीफ सेक्रेटरी को कारण बताओ नोटिस जारी किया।
कारण बताओ नोटिस जारी करने के बाद निदेशक समाज कल्याण लखनऊ ने दिनांक 18/10/2023 को रिपोर्ट के माध्यम से आयोग को बताया कि पीड़ित की पेंशन प्रक्रिया पूरी होने के बाद वित्तीय वर्ष 2022-23 में 3000/ रुपए उसके बैंक खाते में स्थानांतरित कर दिया गया है। रिपोर्ट में यह भी प्रस्तुत किया गया कि पीड़ित शिवमूरत केशरी की मृत्यु 30/05/2023 को हो गई थी और इन परिस्थितियों में 10,000 रुपए का मुआवजा उचित नहीं है।
सरकार के लापरवाह रवैए पर सख्त आदेश देते हुए आयोग ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि मृतक शिवमूरत केशरी के परिजन को 10,000/ रुपए (दस हजार) का मुआवजा जारी करे और भुगतान के प्रमाण पत्र के साथ भुगतान की अनुपालन रिपोर्ट छह सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करे।
आयोग के सख्ती बाद निदेशक समाज कल्याण उत्तर प्रदेश सरकार से 14/10/2024 को रिपोर्ट प्राप्त हुई जिसमें कहा गया कि जिला मजिस्ट्रेड चंदौली ने अपने पत्र संख्या 577 दिनांक 09/04/2024 के माध्यम से सूचित किया कि मृतक पेंशन भोगी स्वर्गीय शिवमूरत केशरी की पत्नी का भी निधन हो गया है। इस लिए उनके बेटे विजय केशरी को 10,000/ रुपए (दस हजार) की सहायता मिली है। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया बैंक ड्राफ्ट संख्या 432488 दिनांक 09/10/2024 के माध्यम से मुआवजे का भुगतान किया गया है।
केस नंबर- 33774/24/19/2024