बीजापुर (छत्तीसगढ़)
पत्थर से बम तोड़ने की कोशिश करने पर दो आदिवासी बच्चों के चीथड़े उड़ गए थे
मानवाधिकार सी डब्लू ए की शिकायत पर मामले का आयोग ने लिया संज्ञान 
छत्तीसगढ़ में बीजापुर जिले के बोड़गा गांव में बम फटने से दो चचेरे भाइयों की दर्दनाक मौत हो गई थी। पुलिस अफसरों ने अपना बचाव करते हुए कहा कि था कि बच्चे नक्सलियों द्वारा लगाई गई आई ई डी के चपेट में आए थे। जब की गांव वालों का कहना था कि वह ग्रेनाइट लांचर था जिसे मुठभेड़ के दौरान पुलिस ने गांव में दागा था। गांव के ही दो बच्चे वोटिओयाम एवं लक्ष्मण ओयाम ने बम को उठाकर पत्थर पर तोड़ने का प्रयास कर रहे थे कि विस्फोट में चीथड़े उड़ गए।
मामला संज्ञान में आने के बाद मानवाधिकार सी डब्ल्यू ए के चेयरमैन योगेंद्र कुमार सिंह (योगी)ने प्रकरण की शिकायत आयोग में भेजकर मृतकों के परिवार को उचित मुआवजा एवं दोषियों के ऊपर कठोरतम कार्यवाही करने का अनुरोध किया था।
आयोग ने मामले का संज्ञान लेते हुए अपने निर्देश में कहा कि यह स्पष्ट है कि स्थानीय प्रशासन /पुलिस की लापरवाही के कारण बच्चों की मौत हुई है, अन्यथा बच्चे विस्फोटक उपकरण तक नहीं पहुंच पाते।
आयोग ने मामले पर डीएम बीजापुर एवं एसपी को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि वे मामले की गहन जांच करवाए ताकि लापरवाही के कारण दो मासूम बच्चों की मौत की जिम्मेदारी तय की जा सके। उनसे यह भी अपेक्षा की जाती है कि वे पीड़ित परिवारों की उचित मुआवजा भी सुनिश्चित करे। आयोग ने मामले में अधिकारियों से चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
आयोग ने सख्त लहजे में कहा है कि यदि निर्धारित समय के भीतर रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई तो आयोग मानव संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 13 के तहत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए संबंधित अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।