16वीं शताब्दी में महल का निर्माण पूरा कराया।

 


कहते हैं कि थाटा खान उसी वक्त नाचने के बहाने से उठा और शॉल को घुमाकर उसने वहां जल रही मोमबत्तियों को बुझा दिया। अंधेरे का फायदा उठाकर वहां से फरार हो गया। इसके बाद वहां से भागकर थाटा खान ने चिकतन क्षेत्र में शरण ली। इस जगह की खूबसूरती को देखकर वह मंत्रमुग्ध हो गया। उसने यहां किला बनाने का फैसला किया।

हालांकि, वह इस जगह पर एक छोटा सा महल ही बना सका। बाद में उसके वंशज राजा त्सेरिंग मलिक ने 16वीं शताब्दी में महल का निर्माण पूरा कराया। शाही परिवार सदियों तक इस महल में रहता रहा। इस शाही महल को बाल्टिस्तान के दो कारीगरों शिनखेन चंदन और उनके बेटे ने शिद्दत से बनाया। इसी जगह के पास है नुन कुन की पहाड़ियां, जहां की खूबसूरती आपका दिल जीत लेगी।