राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने डीएम गाजीपुर को मृतिका के परिजन को मुआवजा देने का दिया सख्त निर्देश

मानवाधिकार सी डब्लू ए की शिकायत पर आयोग ने दिया मुआवजा भुगतान करने का निर्देश

विद्यालय के हैंडपंप पर पानी पीते समय पांच वर्षीय बालिका आई करंट की चपेट में, हुई थी दर्दनाक मौत
गाजीपुर (यूपी)

नगर हॉल्ट थाना स्थित उजारडीह कंपोजिट विद्यालय में करंट लगने से एक मासूम की मौत के मामले में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने  जिलाधिकारी को मुआवजा देने का सख्त निर्देश दिया है। मामला उजारडीह कंपोजिट विद्यालय का है, जहां  गांव की एक साढ़े चार वर्ष की लड़की रागिनी का विद्यालय के हैंड पंप पर पानी पीते वक्त करंट की चपेट में आने  से दर्दनाक मौत हो गई थी। 

मामला प्रकाश में आने के बाद मानवाधिकार सी डब्लू ए के चेयरमैन योगेंद्र कुमार सिंह योगी ने आयोग में शिकायत भेजकर मृतिका के परिवार को उचित मुआवजा एवं दोषियों के ऊपर कठोरतम कार्यवाही    करने का अनुरोध किया था।
दर्दनाक घटना दिनांक 06.07.2024 को दोपहर 12 बजकर 30 मिनट बजे कंपोजिट विद्यालय उजटडीह रेवतीपुर गाजीपुर के परिसर में हुई थी।

आयोग ने मामले का संज्ञान लेते हुए  बिजली विभाग से रिपोर्ट तलब किया था। जमनिया ईई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि घटना स्कूल परिसर में और आंतरिक फिटिंग के तार में हुई थी और बिजली विभाग की कोई लापरवाही नहीं है। 

जांच में प्रधानाध्यापक शेषनाथ सिंह, सहायक अध्यापक विनोद सिंह, शैलेन्द्र राम और सुधीर कुमार की लापरवाही पाई गई और उन्हें निलंबित कर दिया गया। साथ ही शिक्षा मित्र शिवशंकर राय और श्रीमती शीला कुशवाहा की लापरवाही पाई गई और उनक पारिश्रमिक अगले आदेश तक जप्त कर लिया गया। जांच में खंड शिक्षा अधिकार रेवतीपुर की भी लापरवाही  पाई गई, जिन्होंने स्कूल परिसर का ठीक से निरीक्षण नहीं किया था।उपरोक्त सभी दोषी लोक सेवकों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की अनुशंसा शासन से की गई है।
आयोग ने कहा है कि बच्चों कि सुरक्षित शिक्षा सुनिश्चित करना और स्कूलों द्वारा सुरक्षित सुविधाएं प्रदान करना भी राज्य की जिम्मेदारी है। सुरक्षा और संरक्षा के भय से मुक्त शिक्षा प्राप्त करना प्रत्येक बच्चे का मौलिक अधिकार है। बच्चों को किसी असुरक्षित और खराब इमारत में शिक्षा प्राप्त करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

आयोग ने चीफ सेक्रेटरी को दिनांक 30/10/2024 की अपनी कार्यवाही के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किया था, हालांकि 10 सप्ताह से अधिक समय बीत जाने के बावजूद आज तक कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई।
आयोग ने चीफ सेक्रेटरी उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया था कि मृतक लड़की रागिनी पुत्री भोजा राजभर के नगद भुगतान के प्रमाण सहित 5,00,000/- रुपए (मात्र पांच लाख रुपए) जारी करने और भुगतान के प्रमाण सहित अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।

आयोग के अनुस्मारक के बाद भी कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुआ। आयोग ने चीफ सेक्रेटरी को अंतिम रिमाइंडर जारी करते हुए छह सप्ताह के भीतर भुगतान के प्रमाण सहित अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। ऐसा न करने पर मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 13 के अंतर्गत अपनी दंडात्मक शक्तियों का प्रयोग करने के लिए बाध्य होगा।

अंतिम अनुस्मारक के बावजूद कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई। आयोग ने चीफ सेक्रेटरी के गैर जिम्मेदाराना रवैए के कारण सख्त कदम उठाते हुए उनको दिनांक 25/08/2025 को चीफ सेक्रेटरी को  आयोग के समक्ष उपस्थित होने के लिए सशर्त समन जारी किया। 

आयोग ने कहा कि यदि  अपेक्षित रिपोर्ट 18/08/2025 को या उससे पहले प्रस्तुत की जाती है तो उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी जाएगी।
आयोग के सख्त कार्यवाही के बाद चीफ सेक्रेटरी के कार्यालय से रिपोर्ट प्राप्त हुई जिसमें बताई गया है कि खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा विभागीय कार्यवाही की गई है और मृतक नाबालिक छात्रा के निकटतम परिजन को रुपया 5,00,000/- की राशि मुआवजे के रूप में स्वीकृत की गई है। हालांकि गाजीपुर के जिला मजिस्ट्रेड ने अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए एक महीने का समय बढ़ाने का अनुरोध किया है।

आयोग ने 30/08/2025 को मामले पर विचार करते हुए गाजीपुर के जिला मजिस्ट्रेड को निर्देश जारी करते हुए कहा कि मृतक नाबालिक छात्रा रागिनी पुत्री भोज राजभर के निकटतम परिजन को 5.00.000./- की मुआवजा राशि जारी करना सुनिश्चित करे और भुगतान की रसीद सौर भुगतान का प्रमाण चार सप्ताह के भीतर आयोग के समक्ष प्रस्तुत करे।

आयोग ने कहा है कि अनुपालन न होने पर मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 13 के तहत अपनी दंडात्मक शक्तियों का प्रयोग करने के लिए बाध्य होगा।

आयोग अतिरिक्त/ पूर्ण रिपोर्ट दिनांक 07/10/2025 तक प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।