गाजीपुर (यूपी)
विद्यालय प्रशासन की लापरवाही के चलते करंट से स्कूल में बालिका की मौत की हृदय बिदारक घटना से शिक्षा विभाग एवं बिजली विभाग द्वारा अपनी जिम्मेदारियों से भागने और मृतिका के परिजन को आयोग के निर्देश के बाद भी पांच लाख रुपए का मुआवजा न दिए जाने से नाराज आयोग ने चीफ सेक्रेटरी उत्तर प्रदेश सरकार को व्यक्तिगत रूप से आयोग के समक्ष उपस्थित होने का सख्त निर्देश दिया है।
मामला गाजीपुर जनपद के उजराडीह कंपोजिट विद्यालय का है। बताते चले कि जुलाई 2024 में नगसर हाल्ट थाना स्थित कंपोजिट विद्यालय उजराडीह में हैंड पंप पर पानी पीते समय साढ़े चार वर्ष की रागिनी की करंट की चपेट में आने से दर्दनाक मौत हो गई थी। परिजनों एवं ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग एवं बिजली विभाग पर घोर लापरवाही का आरोप लगाया था।
घटना की शिकायत मानवाधिकार सी डब्लू ए के चेयरमैन योगेंद्र कुमार सिंह (योगी) ने NHRC में शिकायत भेजकर दोषियों के खिलाफ कठोरतम कार्यवाही एवं परिजनों को उचित मुआवजा देने का अनुरोध किया था।
दिनांक 06/07/2024 को दोपहर 12:30 बजे कंपोजिट विद्यालय उजराडीह रेवतीपुर गाजीपुर के परिसर में 05 वर्ष की एक नाबालिक लड़की रागिनी पुत्री भोजा राजभर की करंट लगने से मृत्यु हो गई थी। पीड़ित स्कूल की छात्रा नहीं थी। बिजली विभाग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि घटना स्कूल परिसर में और आंतरिक फीडिंग के तार से हुई गड़बड़ी के कारण हुई है और बिजली विभाग की ओर से कोई लापरवाही नहीं हुई है।
जांच में प्रधानाध्यापक शेषनाथ सिंह सहायक अध्यापक विनोद सिंह , शैलेन्द्र राम और सुधीर कुमार की लापरवाही पाई गई और उन्हें निलंबित कर दिया गया। साथ ही शिक्षा मित्र शिवशंकर राय, श्रीमती शीला कुशवाहा की लापरवाही पाई गई और अगले आदेश तक उनका पारिश्रमिक जब्त कर लिया गया है। जांच में खंड शिक्षा अधिकारी रेवतीपुर की भी लापरवाही पाई गई , जो स्कूल परिसर का ठीक से निरीक्षण करने में विफल रहे। उपरोक्त सभी दोषी लोकसेवकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की सिफारिश सरकार से की गई थी। चुकी यह घटना विद्यालय की आंतरिक फीडिंग से निकलने करंट के कारण हुई थी, इस लिए विद्युत विभाग ने अपने लापरवाही से इनकार किया है और वह दोषी नहीं है।
आयोग ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा है कि यदि शिक्षा विभाग के लोक सेवक अधिक सतर्क और सावधान होते तो नाबालिक पीड़ित की बिजली का झटका लगने से हुई असामयिक मृत्यु को टाला जा सकता था। आयोग ने कहा है कि नाबालिक लड़की के जीवन के अधिकार का उल्लंघन हुआ है। आयोग ने चीफ सेक्रेटरी उत्तर प्रदेश के विरुद्ध मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 18 के अंतर्गत कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए छह सप्ताह के भीतर नाबालिक मृतक रागिनी पुत्री भोजा राजभर के रिश्तेदार के पक्ष में 5,00,000/- रुपए ( मात्र पांच लाख रुपए) के आर्थिक मुआवजे की अनुशंसा क्यों न करे।
आयोग ने दिनांक 30/10/2024 के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किया था लेकिन कोई जबाव नहीं प्राप्त हुआ, जिससे आयोग यह निष्कर्ष निकालता है कि उत्तर प्रदेश सरकार के पास इस मामले में कहने के लिए कुछ नहीं है। उपरोक्त निष्कर्षों और टिप्पणियों के मद्देनजर आयोग अपनी अनुशंसा की पुष्टि करता है। अतः उत्तर प्रदेश सरकार को अपने मुख्य सचिव के माध्यम से मृतक पीड़ित लड़की रागिनी पुत्री भोजा राजभर के नगद भुगतान के लिए 5,00,000/- रुपए ( मात्र पांच लाख रुपए) जारी करने और भुगतान के प्रमाण पत्र सहित अनुपालन रिपोर्ट आठ सप्ताह के भीतर आयोग को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। बावजूद कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई।
आयोग ने अंतिम रिमाइंडर जारी करते हुए कहा था कि ऐसा न करने पर यह आयोग मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 13 के अंतर्गत अपनी दंडात्मक शक्तियों का प्रयोग करने के लिए बाध्य होगा। फिर भी कोई वास्तविक रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है।
आयोग ने मामले पर दिनांक 14/07/2025 को सुनवाई करते हुए अधिकारियों की घोर लापरवाही एवं गैर जिम्मेदाराना रवैए पर सख्त कदम उठाते हुए चीफ सेक्रेटरी उत्तर प्रदेश सरकार को दिनांक 25/08/2025 को आयोग के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए सशर्त समन जारी किया है। हालांकि, यदि अपेक्षित रिपोर्ट 18/08/2025 को या उससे पहले प्रस्तुत की जाती है तो उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी जाएगी। आयोग ने यह भी कहा है कि दोनों पक्षों से अब तक प्राप्त सभी सूचनाएं सूचना और आवश्यक कार्यवाही के लिए संबंधित प्राधिकारी को प्रेषित की जाएं।