कावड़ में बैठाकर गर्भवती को छह किलोमीटर पैदल चले परिजन, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने डीएम सरगुजा से तलब की रिपोर्ट

छत्तीसगढ़  
छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले  में बिजली पानी एवं सड़क की विकट समस्या से वहा निवास करने वाले आदिवासी जीवन की जंग लड़ रहे है। खामखूंट गांव में पहाड़ी कोरवा (विशेष संरक्षित जनजाति) की गर्भवती महिला को उसके परिजन कावड़ में बैठकर 6किलोमीटर पैदल ले कर चले। जंगल के रास्ते पहाड़ियों पर लाठिय के सहारे उतरे तब जाकर एंबुलेंस मिली। किसी तरह डिलेवरी हुई तो बच्चे की हालत नाजुक थी जिसकी बाद में मौत हो गई। 

मामला संज्ञान में आने के बाद मानवाधिकार सी डब्लू ए के चेयरमैन योगेंद्र कुमार सिंह (योगी) ने प्रकरण की शिकायत आयोग में भेजकर उचित कार्यवाही करने का अनुरोध किया था।

आयोग ने मामले का संज्ञान लेते हुए डीएम अंबिकापुर सरगुजा से पंद्रह दिन के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

आयोग ने अपने निर्देश में कहा है कि अर्जुन की पत्नी सुंदरी गर्भवती थी। बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण गर्भवती महिला को पहाड़ी इलाके में 6किलोमीटर तक खाट पर ले जाना पड़ा।

 यह घटना संरक्षित आदिवासी क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीर दुर्गमता को उजागर करती है। कथित तौर पर चिकित्सा सहायता पहुंचाने में देरी के कारण नवजात की मृत्यु हो गई।

मामले पर आयोग ने कहा कि शिकायत में लगाए गए आरोप पीड़ितों के मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है। आयोग ने डीएम सरगुजा से संबंधित मामले में पंद्रह दिन के भीतर कार्यवाही रिपोर्ट प्रस्तुत करने का सख्त निर्देश दिया है।
केस नंबर- 114/33/16/2025