मानवाधिकार सी डब्लू ए की शिकायत पर आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा क्यों न दी जाए मृतक को पांच लाख का मुआवजा
वाराणसी (यूपी)
बिजली विभाग की लापरवाही से आए दिन विद्युत कर्मियों एवं निर्दोष लोगो की मौत हो रही है।
रोहनिया थाना क्षेत्र के गमहापुर निवासी संविदा कर्मी लाइन मैन अरविंद पटेल की करंट की चपेट में आने से इलाज के दौरान मौत हो गई थी। लाइन मैन अरविंद लोहता थाना क्षेत्र के कोटवा छितौनी गांव में खंभे पर चढ़कर ट्रांसफार्मर से लाइन बनते समय करंट की जद में आ गया था।
प्रकरण संज्ञान में आने के बाद मानवाधिकार सी डब्लू ए के चेयरमैन योगेंद्र कुमार सिंह (योगी) ने मामले की शिकायत अयोग में भेजकर मृतक के परिवार को उचित मुआवजा एवं दोषियों के ऊपर कठोरतम कार्यवाही करने का अनुरोध किया था।
आयोग ने दिनांक 10/02/2025 को मामले पर विचार करते हुए दिनांक 09/09/2024 की कार्यवाही के तहत मामले का संज्ञान लेते हुए चीफ सेक्रेटरी ऊर्जा विभाग लखनऊ, डीएम वाराणसी, तथा सीपी वाराणसी को जांच का निर्देश जारी करते हुए चार सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। जांच में मुख्य अभियंता (प्रशासन) पीवीवीएनएल ने दिनांक 24/10/2024 को एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें यह प्रस्तुत किया गया कि एक बार FIR दर्ज होने के बाद मुआवजा राशि टाटा एआईजी द्वारा भुगतान की जाएगी। पीएफ के संबंध में यह प्रस्तुत किया गया कि दावा की गई राशि पीएफ कार्यालय में जमा कर दी गई है। इसके अलावा परिवार के सदस्यों से आवश्यक कागजात प्राप्त करने के बाद ईएसआईसी राशि भी ईएसआईसी कार्यालय में जमा कर दी जाएगी। इसके अलावा उप महानिरीक्षक (मानव संसाधन) पुलिस मुख्यालय उत्तर प्रदेश ने एडिशनल डीसीपी क्राइम वाराणसी की जांच रिपोर्ट के साथ दिनांक 05/09/2024 को एक कार्यवाही प्रस्तुत की गई जिसमें कहा गया कि अरविंद पटेल संविदा कर्मचारी के रूप में कार्यरत था और कोटवा पावर हाउस में कार्य करता था। मृतक की पत्नी ने कहा कि अब तक उसे केवल 15,000/ प्राप्त हुए।
आयोग ने 20/11/2024 को मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि ऊर्जा विभाग द्वारा लापरवाही हुई है क्योंकि मृतक की मृत्यु 100 केबीए ट्रांसफार्मर को मरम्मत करते समय हुई थी। FIR की प्रति के बहाने मृतक के परिवार के पक्ष में कोई मुआवजा राशि जारी नहीं की गई है और नहीं विद्युत निरीक्षक द्वारा विद्युत अधिनियम की धारा 161के तहत अनिवार्य जांच की है।
आयोग ने अपने निर्देश में कहा है कि पीवीवीएनएल द्वारा प्रस्तुत की गई करवाई रिपोर्ट में कोई तथ्य नहीं बताया गया है और नहीं भविष्य में ऐसी दुर्घटना से बचने के लिए कोई निवारक उपाय किए गए है।
आयोग का मानना है कि अरविंद की मृत्यु पूरी तरह टाली जा सकती थी। आयोग ने कहा कि पीड़ित की बिजली कंपनी की लापरवाही से मौत हुई इस लापरवाही की कृत्य से मृतक पीड़ित के मानव अधिकारों का उल्लंघन हुआ है, जिसके लिए राज्य सरकार उत्तर दाई है। बिजली विभाग की लापरवाही पर आयोग ने सख्त कदम उठाते हुए मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 18 के तहत चीफ सेक्रेटरी उतर प्रदेश सरकार को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए कहा है कि मृतक अरविंद पटेल के परिवार को पांच लाख रुपए का मुआवजे की सिफारिश क्यों न की जाए। आयोग ने छह सप्ताह में जबाव भी मांगा है।
जबाब में अपर मुख्य सचिव ऊर्जा अनुभाग-3 विद्युत सुरक्षा निदेशालय से दिनांक 01/01/2025 की एक रिपोर्ट प्राप्त हुई। उत्तर प्रदेश लखनऊ द्वारा प्रस्तुत किया कि इस मामले में डीडी विद्युत सुरक्षा निदेशालय द्वारा जांच के आधार पर ट्रांसमिशन सिस्टम में दोषों को सुधार करने के लिए उचित कार्यवाही करने मृतक के परिवार को मुआवजा प्रदान करने और दोषी अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की सिफारिश की है।