नई दिल्ली
मुंबई बम विस्फोट के आरोपी अबू सलेम को पुर्तगाल से प्रत्यर्पित करने के अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व सीबीआई निदेशक पी सी शर्मा का दिनांक 15/10/2024 दिन मंगलवार को निधन है गया। वे 82 वर्ष के थे।
पूर्व आईपीएस अधिकारी को तीन दिन पहले एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां शाम 7.45 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
1966 बैच के असम कैडर के आईपीएस अधिकारी शर्मा 30 अप्रैल, 2001को सीबीआई प्रमुख बने थे। उस समय सफेद पोस अपराध बढ़ रहे थे।
उन्होंने 6 दिसम्बर 2003 तक एजेंसी में काम किया। असम से अपने जुड़ाव के प्रतीक के रूप में हर सार्वजनिक कार्यक्रम में पहनी जाने वाली बांस की टोपी से पहचाने जाने वाले शर्मा का कानून प्रवर्तन में एक विशिष्ट कैरियर था।
वे पहली बार 1978 में पुलिस अधीक्षक के रूप में सीबीआई में शामिल हुए थे। 1982 में आंदोलन को संभालने के लिए उन्हें असम सरकार ने वापस बुलाया। असम में उन्हें उप महानिदेशक पद दिया गया और उन्हें अनधिकृत घुसपैठिए विदेशियों की पहचान करने और उन्हें निर्वासित करने का काम सौंपा गया।
पी सी शर्मा राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के दो बार सदस्य भी रह चुके थे। भारतीय पुलिस सेवा (असम कैडर) के 1966 बैच के अधिकारी डॉ पी सी शर्मा ने 3 मार्च 2004 को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के सदस्य के रूप में कार्यभार संभाला
पी सी शर्मा को विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के पूर्व ज्वाइंट रजिस्ट्रार (लॉ)अनिल कुमार परासर ने कहा कि पी सी शर्मा जी पहले ऐसे पुलिस ऑफिसर थे जो NHRC के मेंबर बने। उन्हों ने कहा कि पीसी शर्मा मजदूरों में होने वाले सिलिकोसिस बीमारी जो टीबी से भी भयानक है।जिसमें मजदूरी की मौत भी हो जाती है, ऐसे खतरनाक बीमारी से गरीब मजदूरों को बचाया जाय इस सिलिकोसिस बीमारी पर उन्हें ने बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य किया।और इनके निर्देशन में पहली बार सिलिकोसिस पर स्पेशल रिपोर्ट बनी जो पार्लियामेंट में पेश की गई।उन्होंने बताया कि पी सी शर्मा ने आयोग के लिए बहुत ही सराहनीय कार्य किए। वे एक बेहद ईमानदार छवि वाले ऑफिसर थे। उन्हों ने NHRC में दो टर्म मेंबर के रूप कार्य किया। परासर ने कहा कि शर्मा बहुत ही मिलनसार थे और अपने दोनो कार्यकाल में मानव अधिकार के क्षेत्र में विशेष स्थान बनाया। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।