राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने चीफ सेक्रेटरी उत्तर प्रदेश को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का दिया सख्त निर्देश



आजमगढ़/जीयनपुर (यूपी)

करंट से हुई मौत के मामले में मुवावजा देने में हिला हवाली करने पर अयोग का सख्त कदम

ह्यूमन राइट सी डब्लू ए की शिकायत पर आयोग ने चीफ सेक्रेटरी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का दिया निर्देश

जीयनपुर कोतवाली अंतर्गत भोजवर गांव के अंतर्गत मस्जिद में पेंटिंग करते हुए करंट की चपेट में आने से  खिल्लुपट्टी गांव निवासी विनय यादव की मौत हो गई थी। मस्जिद में पेंटिंग करते समय लोहे की सीढ़ी हटाते समय ऊपर से गुजर रहे 11हजार बोल्टेज तार के चपेट में आगया था। 

मामला संज्ञान में आने के बाद मानवाधिकार सी डब्लू ए के चेयरमैन योगेंद्र कुमार सिंह (योगी) ने प्रकरण की शिकायत अयोग में भेजकर मृतक के परिवार को उचित मुआवजा दिलाने का अनुरोध किया था।

आयोग ने प्रकरण को  संज्ञान में  लेते हुए 24/03/2024 को मामले का संज्ञान लिया और जिला मजिस्ट्रेट आजमगढ़ उत्तर प्रदेश,चेयरमैन उत्तर प्रदेश पॉवर कॉरपोरेशन लिमिटेड और प्रमुख सचिव ऊर्जा विभाग उत्तर प्रदेश को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर कार्यवाही रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। आयोग के निर्देशो और 12/07/2023 और 12/09/2023 को जारी किए गए अनुस्मारकों के बावजूद अधिकारी अपेक्षित रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफल रहे। इसलिए 20/12/2023  को सशर्त सम्मन जारी किया गया। 



इसके अनुसरण में, अन्य रिपोर्टों के साथ-साथ एसपी, आजमगढ़ की 16.01.2024 की एक रिपोर्ट प्राप्त हुई। रिपोर्ट के अनुसार, सीओ, सगड़ी द्वारा एक जांच की गई, जिन्होंने बताया कि 03.02.2023 को मृतक विनय मस्जिद में पेंटिंग का काम कर रहा था, जब वह सीढ़ी हिलाते समय बिजली के झटके से झुलस गया और उसकी मौके पर ही मौत हो गई।  सूचना पर थाना जीयनपुर पर एफआईआर संख्या 79 पंजीकृत की गई। मृतक का पंचनामा तैयार कर शव को पोस्टमार्टम हेतु भेजा गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार मृत्यु का कारण विद्युत आघात होना पाया गया। 5. डीएम आजमगढ़ की एक अन्य रिपोर्ट दिनांक 29.01.2024 को अन्य रिपोर्टों के साथ प्राप्त हुई, जिसमें बताया गया कि अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण (खण्ड-द्वितीय) आजमगढ़ द्वारा प्रस्तुत जांच रिपोर्ट के अनुसार मस्जिद के ऊपर से कोई विद्युत तार नहीं गुजर रहा था। जांच में पाया गया कि मस्जिद से पांच मीटर दूर सड़क के पार 11 केवी लाइन जा रही थी। ऐसे में इस मामले में कोई मुआवजा देय नहीं है। इसके अतिरिक्त महाप्रबंधक यूपीपीसीएल की दिनांक 09.02.2024 को अन्य रिपोर्टों के साथ रिपोर्ट प्राप्त हुई, जिसमें बताया गया कि जांच रिपोर्टों का विश्लेषण करने पर पता चला कि यह घटना मृतक द्वारा मस्जिद में पेंटिंग के दौरान सीढ़ी ले जाते समय लापरवाही के कारण हुई।  इस विद्युत दुर्घटना में विभाग की कोई गलती नहीं थी।
विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 161 के अन्तर्गत रिपोर्ट सहित अन्य रिपोर्टों के साथ-साथ निदेशक, विद्युत सुरक्षा, उ.प्र. सरकार की दिनांक 06.02.2024 की एक अन्य रिपोर्ट भी प्राप्त हुई। रिपोर्ट के अनुसार पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड की एल.टी. लाइन की वर्षों पुरानी एवं जीर्ण-शीर्ण अवस्था तथा मस्जिद के पीछे की ओर से उक्त लाइन के नीचे से गुजरने वाली कंक्रीट की सड़क के निर्माण के कारण एल.टी. लाइन की ऊंचाई लगभग 11 फीट रह गई थी। मृतक मस्जिद के सामने की ओर पेंटिंग का कार्य करने के लिए लोहे की सीढ़ी उठाते समय जमीन से 11 फीट की ऊंचाई पर स्थित एल.टी. लाइन के संपर्क में आ गया। यह दुर्घटना भारतीय विद्युत नियम, 1956 के नियम 29 एवं नियम 77(1)(ए) का अनुपालन न करने के कारण हुई, जिसके लिए निगम के संबंधित अनुरक्षण कर्मचारी, ठेकेदार जिम्मेदार हैं, जिनके विरुद्ध निगम को आवश्यक कार्यवाही करनी चाहिए।  संबंधित एसडीओ ने उक्त दुर्घटना के संबंध में निर्धारित समय के भीतर विद्युत सुरक्षा निदेशालय को सूचना उपलब्ध नहीं कराई, जिससे उन्होंने भारतीय विद्युत नियम, 1956 के नियम 44(ए) का उल्लंघन किया है। जांच के समय निगम को पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड की स्थापना में पाई गई त्रुटियों को ठीक करने तथा मृतक की मां राधिका देवी को उचित मुआवजा दिलाने के लिए नियम 5(4) के तहत जारी आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए।

 पुलिस रिपोर्ट तथा निदेशक, विद्युत सुरक्षा, उ.प्र. सरकार द्वारा अग्रेषित विद्युत निरीक्षक की धारा 161 विद्युत अधिनियम के तहत रिपोर्ट के अवलोकन से अभिलेखों में यह स्थापित हुआ कि मृतक विनय यादव की मृत्यु विद्युत स्पर्शाघात के कारण हुई थी। निदेशक, विद्युत सुरक्षा की रिपोर्ट के अनुसार मृतक की मृत्यु मस्जिद के ऊपर से गुजर रही 11 केवी एलटी लाइन के संपर्क में आने से हुई थी। रिपोर्ट से यह भी स्थापित हुआ कि कंक्रीट सड़क निर्माण के कारण एलटी लाइन की दूरी 11 फीट रह गई थी।  रिपोर्ट में धारा 161 के तहत यह भी बताया गया कि एलटी लाइन कई साल पुरानी और जीर्ण-शीर्ण अवस्था में थी। विद्युत निरीक्षक ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को जिम्मेदार ठहराया क्योंकि उन्होंने भारतीय विद्युत नियम, 1956 के नियम 29 और नियम 77(1)(ए) का उल्लंघन किया था। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सुरक्षा और विद्युत आपूर्ति से संबंधित उपाय) विनियमन, 2010 के अवलोकन से पता चलता है कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड विनियमन 63 का भी उल्लंघन कर रहा था जो क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर मंजूरी प्रदान करता है।

आयोग ने अपने निर्देश में कहा है कि मानव अधिकार के उलंघन को रोकने में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड और ऊर्जा विभाग उत्तर प्रदेश की ओर से घोर लापरवाही हुई है। यह पीड़ित मृतक के मौलिक अधिकारों का उलंघन है और भारत के अनुच्छेद 21 द्वारा गारंटीकृत उसके जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मानव अधिकार के उलंघन का एक स्थापित मामला है जिसके लिए सरकार उत्तरदाई है। अयोग ने 24/02/2024 की कार्यवाही के माध्यम से मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि मृतक व्यक्ति विनय यादव के परिजन को 5,00,000,/ (पांच लाख रुपए) मुआवजे के रूप में भुगतान की सिपारिश क्यों न करे। बावजूद आज तक कोई अपेक्षित रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई।

 आयोग ने मामले पर सुनवाई करते हुए प्राधिकारी के गैर उत्तरदाई रवैए के कारण सख्त निर्देश जारी करते हुए चीफ सेक्रेटरी उत्तर प्रदेश को अपेक्षित अनुपालन रिपोर्ट तथा भुगतान प्रमाण पत्र सहित  दिनांक 29.11.2024 को आयोग के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया है। आयोग ने यह भी कहा है कि यदि यदि आयोग को  22.11.2024 को या उससे पहले भुगतान प्रमाण पत्र सहित अनुपालन रिपोर्ट प्राप्त हो जाती है तो संबंधित प्राधिकारी को व्यक्तित उपस्थिति में छूट दी जाएगी।