राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के स्थापना दिवस पर विशेष


नई दिल्ली- 
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की स्थापना 12 अक्तूबर 1993 को हुई। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग एक स्वायत्त विधिक संस्था है। आयोग इस साल 31 वा स्थापना दिवस मना रहा है। तीन दशकों से एनएचआरसी भारत और दुनिया भर में मार्ग दर्शक के रूप में रहा है। वंचितों के लिए आशा की किरण,निर्बल की आवाज और सामाजिक न्याय  और मानव अधिकारों की रक्षा और प्रवर्तन के लिए एक चैंपियन रहा है।

 मानवाधिकारों की बढ़ावा देने, उनकी रक्षा करने और उनकी रक्षा करने के लिए आयोग के अथक प्रयासों ने अनागिनित व्यक्तियो और समुदायों के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। जिसे हम इसे  मिल का पत्थर मानते है। हम मानवता, गरिमा , और न्याय के मूल्यों को बनाए रखने के लिए आप की अटूट प्रतिबद्धता को स्वीकार करते है। एनएचआरसी भारत का कार्य मानव अधिकारों की शक्ति का प्रमाण है जो जीवन को बदलने और एक अधिक न्याय पूर्ण और समतामूलक समाज बनाने में मदद करता है। 

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग अपने स्थापना काल से अब तक अनगिनत पीड़ितो को न्याय दिला चुका है और करोड़ों रूपये बतौर मुवावजा भी दिला चुका है। जिससे पीड़ित परिवार का जीवन और दशा में बेहतरीन सुधार हुआ है। एनएचआरसी देश के मानव अधिकारों का प्रहरी है। यह संविधान द्वारा अभिनिश्चित तथा अंतर्राष्ट्रीय संधियों में निर्मित व्यक्तिगत अधिकारों का संरक्षक है। 

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन पेरिस सिद्धांतो के अनुरूप है जिन्हे अक्टूबर 1991 में पेरिस में मानव अधिकार संरक्षण एवं  संवर्धन के लिए राष्ट्रीय संस्थानों पर आयोजित पहली अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला में अंगीकृत किया गया था। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन 28 सितंबर 1993 के मानवाधिकार संरक्षण अध्यादेश के तहत 12 अक्तूबर 1993 को किया गया है। इसे मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 (PHRA) द्वारा वैधानिक आधार दिया गया था।

 एनएचआरसी मानव अधिकारों के संरक्षण और संवर्धन के लिए जिम्मेदार है, जिसे अधिनियम द्वारा संविधान द्वारा गारंटीकृत या अंतर्राष्ट्रीय बचाओ से सन्निहित और भारत में न्यायालयों द्वारा लागू किए जाने वाले व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता , समानता और सम्मान से संबंधित अधिकारों के रूप में परिभाषित किया गया है। 
जस्टिस रंगनाथ मिश्रा NHRC के प्रथम अध्यक्ष
न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा को 12अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का पहला अध्यक्ष नियुक्त किया गया था और वे 24 नवम्बर 1996 तक इस पद पर कार्य रत थे। उन्हें मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 के तत्वधान में देश में मानवाधिकारों के लिए अग्रणी भूमिका निभाने का श्रेय दिया जाता है, जिसके तहत एनएचआरसी की स्थापना हुई। न्यायमूर्ति मिश्रा का जन्म 25 सितंबर 1926 को उड़ीसा के बानपुर में हुआ था, वे भरत 21मुख्य न्यायाधीश थे और उन्हें 25   सितंबर , 1990 से  24 नवम्बर  1991तक इस पद पर कार्य किया, तथा 12 अक्तूबर 1993 को एनएचआरसी के पहले अध्यक्ष नियुक्त हुए और 24 नवम्बर 1996 तक इस पद पर रहे।
अनिल कुमार परासर ज्वाइन रजिस्ट्रार (लॉ) NHRC (अब सेवा निवृत) 

वही अनिल कुमार परासर भी सुप्रीमकोर्ट से जस्टिस रंगनाथ मिश्रा के साथ एनएचआरसी में पद भार संभाला। परासर ने जस्टिस रंगनाथ मिश्रा के साथ मिलाकर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को एक नई ऊंचाई पर ले गए। अनिल कुमार परासर ने ज्वाइंट रजिस्ट्रार (लॉ) NHRC के पद पर रहते हुए देश भर में भ्रमण करते हुए मानव अधिकारों के प्रति लोगो को जागरूक किए। उनके द्वारा  ईंट भट्ठों पर बाल मजदूरी, बाल श्रम, बंधुवा मजदूरी, मानव तस्करी बाल अपराध, महिला उत्पीडन, हिरासत में मौत जैसे जघन्य अपराधो पर रोक थाम के लिए सराहनीय प्रयास किया।  उनके प्रयासों से देश में कई संस्थाएं मानव अधिकार के क्षेत्र में सराहनीय कार्य कर रही है जिसमे मानवाधिकार सी सब्लू ए चंदौली (वाराणसी) भी एक है।