शासन की तरफ से गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों के ऊपर सख्त कार्यवाही करने का निर्देश है। जिसकी जिम्मेदारी खंड शिक्षा अधिकारी को शौपी गई है। खंड शिक्षा अधिकारियों द्वारा सिर्फ नोटिस जारी कर खानापूर्ति कर दी जाती है। जनपद में दर्जनों विद्यालय बिना मान्यता के संचालित किए जा रहे है। शिक्षा अधिकार अधिनियम की बात करे तो 06-14 वर्ष की उम्र के सभी बच्चो को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है। संविधान के 86 वे संशोधन द्वारा शिक्षा अधिकार को प्रभावी बनाया गया है। जिसके तहत सरकारी स्कूल मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराएंगे।
वही निजी स्कूल न्यूनतम 25 प्रतिशत बच्चो को बिना किसी शुल्क के नामांकित करेंगे। जिसका उलंघन करते हुए शिक्षा माफिया खूब फल फूल रहे है। गैर मान्यता प्राप्त विद्यालय मानक विहीन स्कूल खोल टाई,बेल्ट, किताब एवं एडमिशन के नाम पर अभिभावकों के जेब पर डाका डाल रहे है।
मामला संज्ञान में आने के बाद मानवाधिकार सी डब्लू ए के चेयरमैन योगेंद्र कुमार सिंह (योगी) ने प्रकरण कि शिकायत राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग में भेजकर फर्जी विद्यालयों के ऊपर कठोरतम कार्यवाही करने के लिए अनुरोध किया था। अयोग ने मामले को संज्ञान लेते हुए चीफ सेक्रेटरी उत्तर परदेश सरकार एवं डीएम चंदौली को शिकायत में लगाए गए आरोपों की जांच कर अयोग के अवलोकन के लिए चार सप्ताह के भीतर कार्यवाही रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।