स्कंद पुराण, पद्म पुराण और श्रीमद्भागवत पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, राजा बलि ने भगवान विष्णु के

 स्कंद पुराण, पद्म पुराण और श्रीमद्भागवत पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, राजा बलि ने भगवान विष्णु के परम भक्त थे। एक बार भगवान विष्णु ने राजा बलि भक्त की परीक्षा लेने हेतु वामन अवतार धारण किया। इस रूप में भगवान राजा बलि के द्वार पर भिक्षा मांगने पहुंचे और उन्होंने तीन पग भूमि दान में मांगी। राजा ने ब्राह्मण की इस मांग को स्वीकार कर लिया। वामन भगवान ने एक पग में पूरी भूमि और दूसरे पग ने पूरा आकाश नाप दिया। फिर तीसरा पग रखने की बारी आई तो राजा बलि ने अपना सिर आगे कर कहा कि आप अपना तीसरा पग मेरे सिर पर रख लीजिए।

राजा की यह दानवीरता देख भगवान प्रसन्न हुए और राजा बलि को पाताल लोक का राजा बना दिया। तब राजा बलि ने यह वरदान मांगा कि आप मेरे साथ पाताल लोक में रहें। लेकिन इस वचन के कारण माता लक्ष्मी परेशान हो उठीं। तब माता लक्ष्मी ने एक गरीब महिला का रूप धारण किया और राजा बलि के पास पहुंचकर उन्हें राखी बांधी। जब राजा बलि ने राखी के बदले में कुछ मांगने को कहा, तो माता लक्ष्मी में अपने असली रूप में आकर राजा बलि से कहा कि वह भगवान विष्णु को वचन मुक्त कर दें, ताकि वह वापस अपने धाम लौट सकें। राखी का मान रखते हुए राजा ने भगवान विष्णु जी को वचन से मुक्त कर दिया।