शहाबगंज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर प्रसूता की हुई थी मौत, डाक्टरों के ऊपर लगा था लापरवाही का आरोप
एनएचआरसी ने जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी से तलब की रिपोर्ट
मानवाधिकार सी डब्लू ए की शिकायत पर आयोग ने मामले का लिया संज्ञान
शहाबगंज थाना क्षेत्र के लटांव गांव की थी प्रसूता
परिजनों ने डाक्टर,स्टॉप नर्स एवं एएनएम पर लगाया लापरवाही का गंभीर आरोप
चंदौली (यूपी)
शहाबगंज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर प्रसव के दौरान एक महिला की अगस्त 2024 में मौत हो गई थी। थाना क्षेत्र के लटांव गांव की निवासी अजय प्रताप की पत्नी संजू देवी की प्रसव पीड़ा के दौरान शहाबगंज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर इलाज के दौरान मौत हो गई । परिजनों ने डाक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए सड़क को जाम कर दिया था। मृतिका के पति अजय प्रताप ने डाक्टर संदीप गौतम , स्टॉप नर्स सुनीता पाण्डेय, एएनएम लालवती देवी, दाई कलावती के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की थी।
मामला प्रकाश में आने के बाद मानवाधिकार सी डब्लू ए के चेयरमैन योगेंद्र कुमार सिंह (योगी) ने प्रकरण की शिकायत आयोग में भेजकर दोषियों के ऊपर कठोरतम कार्रवाई करने एवं मृतिका के परिवार को उचित मुआवजा दिलाने का अनुरोध किया था।
दिनांक 07.05.2025 की कार्यवाही के तहत आयोग ने निम्न लिखित आदेश दिया। दिनांक 07.11.2024 की कार्यवाही के तहत आयोग ने प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग उत्तर प्रदेश सरकार लखनऊ को आरोपों की जांच करने, आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करने और आयोग को की गई कार्यवाही की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया
उपरोक्त निर्देशों के अनुपालन में उत्तर प्रदेश सरकार के चिकित्सा अनुभाग -6 के विशेष सचिव से दिनांक 06.01.2025 की एक रिपोर्ट प्राप्त हुई। यह प्रस्तुत किया गया कि आयोग के समक्ष मामला एसजेएम न्यायालय चंदौली के समक्ष विचाराधीन और सीएमओ चंदौली द्वारा अपने स्तर पर कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती। रिपोर्ट को अभिलेख में लिया गया। प्रस्तुत रिपोर्ट के साथ न्यायिक मजिस्ट्रे न्यायालय, चंदौली के दिनांक 14.10.2024 के आदेश की एक प्रति संलग्न की गई थी,जिसमें विद्वान न्यायालय द्वारा निर्देश दिया गया था कि निर्देशों को ध्यान में रखते हुए प्रियंका श्रीवास्तव बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश राज्य मामले में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार कथित चिकित्सकीय लापरवाही के वर्तमान मामले में प्रारंभिक जांच अनिवार्य है। अतः मुख्य चिकित्सा अधिकारी चंदौली को मामले की गहन जांच करने और दिनांक 20.10.2024 को अविलंब अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाता है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि न्यायालय के मुख्य चिकित्सा अधिकारी, चंदौली को प्रारंभिक जांच के निर्देश दिए थे ताकि यह पता लगाया जा सके कि कथित चिकित्सकीय लापरवाही का कोई कृत्य या घटना अभिलेख में दर्ज है या नहीं, इससे पहले कि बीएनएसएस के धारा 173(4) के अंतर्गत आगे कोई निर्देश जारी करे । यह स्थिति आयोग को प्राधिकारी से जांच करने से नहीं रोक सकती