मानवता की मिशाल कायम कर गए बख्शी

चंडीगढ

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग में लगभग बीस वर्षों से अधिक समय से सेवा दे चुके अजय बक्शी का 15/07/2025 को निधन हो गया। बक्शी ने मृत्यु से पहले ही परिवार के सदस्यों से अपनी अंतिम इच्छा जाहिर की थी कि उनकी पूरे शरीर को दान दे दिया जाए। आप को बतादे की जीरकपुर निवासी 73 वर्षीय अजय बख्शी का पार्थिव शरीर उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार पीजीआई के एनाटॉमी विभाग को दान कर दिया गया। अजय बख्शी का मंगलवार को निधन हो गया था और उनके परिवार ने इस पार्थिव शरीर के माध्यम से चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान में योगदान देने का निर्णय लिया। 

उनकी पत्नी सुनीता बख्शी और बेटी आकांक्षा बख्शी ने शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए अजय बख्शी के अंतिम इच्छा के अनुसार उनके शरीर को पीजीआई को सौंपने का उदार निर्णय लिया।

एनाटॉमी विभाग के प्रमुख ने परिवार के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया और व्यक्तिगत क्षति के इस घड़ी में उनके विचारशील कार्य की सराहना की। उन्होंने कहा कि किसी प्रियजन का अंगदान करना एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।
वैज्ञानिक और शैक्षिक उपयोग के लिए अपने शरीर का उपयोग करना एक सराहनीय कदम है,क्योंकि इससे मेडिकल छात्रों को मानव शरीर रचना विज्ञान को व्यवहारिक रूप से सीखने और भविष्य में शोध में मदद मिलती है। इस तरह के योगदान चिकित्सा समुदाय के लिए मूल्यवान माने जाते है क्योंकि ये चिकित्सा विज्ञान को आगे बढ़ाने और स्वास्थ्य सेवा प्रशिक्षण में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
अनिल कुमार परासर ने अजय बख्शी को दी भावभीनी श्रद्धांजलि


अजय बख्शी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए निवर्तमान ज्वाइंट रजिस्टर (लॉ) राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग अनिल कुमार परासर ने कहा कि बख्शी विलक्षण व्यक्तित्व के धनी थे। उनकी ईमानदारी, साहस, करुणा और दृढ़ व्यावसायिकता, गहरी मानवता से प्रेरित जीवन की पहचान थे। उन्होंने न केवल दृढ़ विश्वास के साथ, बल्कि दयालुता और शालीनता के साथ भी जीवनयापन किया।

त्रिशला सिटी, ज़ीरकपुर निवासी 73 वर्षीय अजय बख्शी का पार्थिव शरीर बुधवार को पीजीआई के एनाटॉमी विभाग को दान कर दिया गया। अजय बख्शी का मंगलवार को निधन हो गया था और उनके परिवार ने इस पार्थिव शरीर के माध्यम से चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान में योगदान देने का निर्णय लिया।

उनकी पत्नी सुनीता बख्शी और बेटी आकांक्षा बख्शी ने शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए उनके शरीर को पीजीआई को सौंपने का उदार निर्णय लिया।

एनाटॉमी विभाग के प्रमुख ने परिवार के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया और व्यक्तिगत क्षति की इस घड़ी में उनके विचारशील कार्य की सराहना की। उन्होंने कहा कि किसी प्रियजन का अंगदान करना एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।

वैज्ञानिक और शैक्षिक उपयोग के लिए अपने शरीर का उपयोग करना एक सराहनीय कदम है, क्योंकि इससे मेडिकल छात्रों को मानव शरीर रचना विज्ञान को व्यावहारिक रूप से सीखने और भविष्य में शोध में मदद मिलती है। इस तरह के योगदान चिकित्सा समुदाय के लिए मूल्यवान माने जाते हैं, क्योंकि ये चिकित्सा ज्ञान को आगे बढ़ाने और स्वास्थ्य सेवा प्रशिक्षण में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

मानवाधिकार सी डब्लू ए वाराणसी में बख्शी जी को श्रद्धासुमन अर्पित की।जिसमें प्रशांत सिंह, अजय सिंह, दिलीप सिंह, मृत्युंजय बर्मा, विवेक जायसवाल, संतोष पांडेय,  अजीत प्रताप सिंह, विजय सिंह, मयंक कश्यप, सहदेव प्रताप सिंह, रविन्द्र मिश्रा, आदि लोग उपस्थित थे।